परिचय संसारी लोगों का हुआ करता है संत सद्गुरु व विद्वानों का नहीं।। इस दुनिया में प्रत्येक जीवन में संभावनाओं के दीप छिपे होते हैं। कोई उन दीपों को रोशन कर लेता है किसी के दीप जगमगाने से पहले अस्त हो जाते हैं। अनेकों व्यक्ति अपने जीवन में साधना करते हैं परंत कभी-कभी उनकी साधना अपूर्ण रह जाती है। ऐसे महापुरुष किसी धर्मनिष्ठ परिवार में जन्म लेकर पुन अपनी अपूर्ण साधना की यात्रा प्रारंभ कर औरों के दीपों को प्रज्ज्वलित करने के लिए निकल पड़ते हैं। उन्हीं प्रतिभाओं में से एक श्री पवन देव जी महाराज ने अयोध्या जी की पावन धरती पर एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार में 10 मार्च होली के पावन दिन को जन्म लिया। इनके माता-पिता भी भगवान सीताराम जी, हनुमान जी, महादेव जी एवं राधा कृष्ण के अनन्य भक्त हैं। इनके दादा-दादी जी की वैष्णव परिवार की धर्म भावना ठाकुर सेवा व कीर्तन के प्रभाव में बालक पवनदेव को श्री हनुमान जी महाराज के चरणों में समर्पित कर दिया क्योंकि हनुमान जी महाराज की कृपा से ही इस बालक का जन्म हुआ इसलिए मंदिर के पुजारियों ने इस बालक का नाम पवनदेव रख दिया। माता-पिता ने जब बालक को बाल्यकाल से भागवत कथा श्रवण तथा भगवत सेवा की रुचि से परिपूर्ण देखा तो इस बालक को अयोध्या धाम में स्थित नंदीग्राम भरतकुण्ड में परम विद्वान पंडित राधिक प्रसाद जी के सानिध्य में संस्कृत विद्यालय अध्ययन में डाल दिया। कई वर्षो तक अयोध्या में अनेक विद्वानों के संग रहकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया ।
बाद में राधाकृष्ण की असीम कृपा से वृन्दावन धाम में भेजने का निश्चय किया। ताकि वैदिक संस्कारों से भलीभांति परिष्कृत होकर सच्चे अर्थो में ब्राह्मण बनकर जनकल्याण कर सके। वृंदावन के प्रसिद्ध कथाकार अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के चरणों में बालक का प्रेम देखकर माता-पिता ने बिहारी जी की कृपा से पूज्य गुरूदेव से बालक की गुरू दीक्षा करवाई। गुरुदेव ने इस तेजस्वी बालक के सुदर मुख मण्डल आभा को देखकर पवनदेव नाम से सम्बोधित किया। खेलने-कूदने की उम्र में ही गम्भीरता का चोला ओढ़ बालक पवन देव कितने ही लक्ष्यों की चेतना को जगाने निकल पड़े। पवन देव केवल वक्ता ही नहीं अपितु राष्ट्र के लिए समर्पित एक अनोखा व्यक्तित्व हैं आज पूर्वांचल ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत में धर्मातरण एक चिंतनीय मुद्दा है ।
जब भी पवन देव जी को मौका मिलता है वह वनवासी बालक-बालिकाओं को कृष्ण कथा के लिए प्रशिक्षित करते हैं जिससे वह अपने क्षेत्र में जाकर कृष्ण कथा, गुरु, गंगा गीता व गाय आदि को जनमानस में पुनः प्रतिष्ठित करायें। कभी-कभी जेलों में जाकर कैदियों को अपराध मुक्त जीवन जीने को प्रेरित करते हैं। जब भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से राष्ट्र परेशान था तब आपने भूकंप पीड़ितों की सहायतार्थ समय-समय पर भागवत कथा व रामकथा कर प्राप्त द्रव्य व सामग्री प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाई। विकलांगों की सहायतार्थ विभिन्न स्थानों पर श्रीमद् भागवत की कथा से प्राप्त सहयोग राशि विकलांगों को समर्पित कर उनके जीवन को संवारा।
एक बार ब्रजभूमि गोवर्धन में परिक्रमा करते समय महाराज जी ने गौ माताओं को लोगों की जूठन खाते देखा एवं अनेक वृद्धों को दुखी एवं पीड़ित देखा तो उनका हृदय रो पड़ा । उसी दिन आपने गौ सेवा का संकल्प ले लिया कि एक गौशाला का निर्माण करना है और वृद्धों के लिए एक वृद्धा आश्रम बनवाकर उनकी सेवा करना है।
आपके द्वारा भारत के सभी प्रमुख तीर्थो में एवं संपूर्ण भारत में श्रीमद् भागवत कथा, श्रीरामकथा, श्रीमद्देवी भागवत कथा, शिव महापुराण एवं भजन संध्या के कार्यक्रम हो चुके हैं। आप की कथा शैली इतनी मधुर एवं सरल है कि सभी श्रेणी के प्रेमी भरपूर आनंद लेते हैं। अब तक पूज्य महाराज श्री विगत 15 वर्षों से ज्यादा समय से कथा का रसपान समस्त जन मानस को कराते आ रहे हैं। उनको पूर्णरूपेण सभी का प्यार स्नेह मिलता रहा है आप अपने सभी कार्य भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा रानी के सहारे करते हैं और भगवान श्री राधा कृष्ण ने महाराज श्री पर अपनी पूर्ण कृपा बना रखी है। हम सब भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमारे महाराज श्री अपनी वाणी से सभी भक्तों को कथा श्रवण कराकर हम सब के जीवन को धन्य बनाते रहें।
राधे-राधे बोलना पड़ेगा प्यारे,
ऐसे नहीं जोर से बोलना पड़ेगा।
In a frantic world, a peaceful mind might seem like a friend you rarely have the chance to catch up with. But finding peace of mind is possible.
Our society today is wrought with violence, anger and negative elements. One of the key reasons of this change in our society has been lack of value education over the last 100 years or so in the Indian education system.
We always respect and honor cows as our mother. But people are not very much focused to serve the cows. Pawan Dev Maharaj Ji is very much concerned about the cows.
Leading by Shri Pawan dev Maharaj Ji. Trust is founded in march 9, 2015. A Charitable Trust to help Children Welfare, Gaushala & Society
The Trust, assisting the poor girls and marginalized sections of society through various welfare programs and initiatives.
Gaushalas provide a safe and secure environment for cows, offering them shelter from harsh weather conditions, access to clean water, and nutritious food.
श्रीमद भागवत कथा नरकटियागंज बिहार आयोजक नन्हे चौबे जी दिनांक:- 16 जून से 22 जून
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर श्रीमद भागवत कथा गोधाराम फॉर्म हाउस मुराद नगर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश दिनांक:- 24 अगस्त से 30 अगस्त
श्रीमद भागवत कथा महाराज गंज रायबरेली आयोजक भैया विवेक सिंह दिनांक:- 7 अक्टूबर से 14 अक्टूबर
श्रीमद भागवत कथा गोसाईगंज बाजार अयोध्या धाम आयोजक सतीश चन्द्र कसौधन जीवनलाल कसौधन दिनांक:- 16 अक्टूबर से 22 अक्टूबर
श्रीमद भागवत कथा दर्शन नगर बाजार अयोध्या धाम आयोजक भैया पवन कुमार कसौधन पूरा कसौधन परिवार दिनांक:- 7 नवंबर से 15 नवंबर
श्रीमद भागवत कथा बाबू करन सिंह मार्ग निकट रेलवे क्रासिंग श्री राम बालिका विद्यालय चिलबिला प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश कथा आयोजक डा हरिकेश बहादुर सिंह जी भैया डा चंद्रेश बहादुर सिंह भैया डा प्रतीक सिंह दिनांक:- 16 नवंबर से 23 नवंबर
Knowledge can be obtained from anywhere, but guru diksha has a scientific approach. It has Kriya, Sadhana, Upasana. It is a vital science. It is a science of energy and science of sound energy. It always comes when you are ready. Your reception is necessary. It you practice few years this Diksha, then other Diksha like Kriya Diksha, Sanskara Diksha, Sankalpa Diksha and Samadhi Diksha happens. Every master or every sect have their own technique.
Pawan Dev Ji Maharaj get diksha from Shree Devkinandan Thakur Ji Maharaj. It is a master and disciple connection. Guru Diksha gives a chance to transcendent. After Guru Diksha one can walk on the path of Self Realization. After Guru Diksha one can go into Samadhi. But it is dependent on Guru, what kind of Guru is there. In the Diksha many material tools are used.
Any kind of Diksha has a ceremony because ceremony is related to body and mind. It effects on the body and physical. It is one type of self hypnosis and mental hypnosis. We have a very special Diksha. If you are practicing, if you are experimenting then after Guru Diksha we can take you to the piligrimage of Diksha of Sanskara, which is by removing all the past karmas. By this Diksha all your past Samskaras can be removed. All the Jath raginis are centralized ( knots) and all the vital energy is uprooted. It has more hidden science. It really has wonderful effect on the body and mind because it is not practical and so awakening by the touch of the master can make you to bloom, can make you to enlighten.
जो अपने लिए ना जी कर दूसरों के लिए जीएं, अपना पूरा समय मानवता की सेवा और सनातन धर्म के उत्थान के लिए दें, ऐसे महापुरुष का हमारी इस पावन धरती पर होना गर्व की बात है। पूज्य श्री पवन देव जी महाराज के संकल्पों ने मानव कल्याण की परिभाषा को एक नया आयाम दिया है। ना जाति, ना धर्म और ना समुदाय…बिना किसी भेदभाव के जो मानव सेवा को भी अपना धर्म समझे ऐसे संत को नमन। आइए इस संकल्पों के बारे में जानते हैं।
महाराज श्री के द्वारा देव धाम गौशाला निर्माण में भी आप भूमि दान सहयोग राशि दे सकते हैं गौ माता की सेवा के लिए उनके हरे चारे के लिए रोटी के लिए गुड़ के लिए भी आप अपनी सेवा राशि दे सकते हैं आप अपनी सेवा राशि सीधे वृंदावन के बैंक खाते में जमा करा सकते हैं है।
असहाय, उपेक्षित एवं अपनों से तिरस्कृत वृद्धजनों के लिए वृंदावन में निर्माणाधिन देव सेवा धाम वृद्धाश्रम के लिए आपश्री का सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
आपके द्वारा आश्रम निर्माण में भूमि दान
अपने सामर्थ्य के अनुसार अधिक से अधिक भूमि दान सेवा में सहयोग देकर पुण्य के
संतों की भोजन प्रसादी सेवा और अन्नपूर्णा रसोई के माध्यम से भोजन प्रदान किया जाता है। पवन देव महाराज जी के सानिध्य में विश्व सेवा मिशन ट्रस्ट वृन्दावन द्वारा हो रहें सेवा के कार्य ‘साधु संत ब्राह्मण भंडारा सेवा’ में आप भी सहयोग दे आपका एक छोटा सा सहयोग बहुमूल्य होगा।
|| श्री राम ||
गुरु दीक्षा सामग्री गुरु दीक्षा के समय चाहिए होती है
परम पूज्य पवन देव महाराज जी की फ्रेम फोटो